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World Forestry Day 2020 21 मार्च: विश्व वन दिवस - 2020

World Forestry Day 2020
21 मार्च: विश्व वन दिवस - 2020 

अंतरराष्ट्रीय वन दिवस - 2020



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World Forestry Day 202021 मार्च: विश्व वन दिवस - 2020
पर्यावरण में प्रदूषण के कारण पूरी पृथ्वी प्रदूषित हो रही है।
 वैज्ञानिकों और पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है यही स्थित बनी रही तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं जिससे पृथ्वी पर प्राणियों और वृक्षों का बने रहना कठिन होगा। । इसको मद्देनजर रखते हुए सन् 1992 में ब्राजील के रियो डी जेनेरियो शहर में विश्व के 172 देशों ने पृथ्वी सम्मेलन का आयोजन किया गया था।
World Forestry Day 2020
21 मार्च: विश्व वन दिवस - 2020
पर्यावरण में प्रदूषण के कारण पूरी पृथ्वी प्रदूषित हो रही है। वैज्ञानिकों और पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है यही स्थित बनी रही तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं जिससे पृथ्वी पर प्राणियों और वृक्षों का बने रहना कठिन होगा। । इसको मद्देनजर रखते हुए सन् 1992 में ब्राजील के रियो डी जेनेरियो शहर में विश्व के 172 देशों ने पृथ्वी सम्मेलन का आयोजन किया गया था।
रि‍यो में  हुए पृथ्वी सम्मेलन में वन प्रबंध को मान्‍यता दी गई थी तथा जलवायु परि‍वर्तन और पृथ्‍वी के तापमान में वृद्धि‍ से नि‍पटने के लि‍ए वन क्षेत्र को वर्ष 2007 में 25 प्रति‍शत तथा 2012 तक 33 प्रति‍शत करने की आवश्‍यकता पर बल दि‍या गया है।




विगत वर्षों के थीम-

वर्ष  2020 के विश्व वन दिवस का विषय- “वन व जैव विविधता” हैं।
संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा ने 2011 को अंतर्राष्‍ट्रीय वि‍श्‍व वन वर्ष के रूप में मनाया।
संयुक्त राष्ट्र ने 21 मार्च
 वर्ष  2014 के विश्व वन दिवस का विषय- “सतत विकास के लिए वन” रखा गया था एवं
वर्ष  2019 के विश्व वन दिवस का विषय- “वन व शिक्षा” हैं।


इस प्रकार विश्व में वनों को महत्‍व देने के लि‍ए प्रत्येक वर्ष 21 मार्च को वि‍श्‍व वानि‍की दि‍वस मनाया जाता है।
यह तिथि काफी विशिष्ट है क्योंकि वसंत के इस दि‍न दक्षि‍णी गोलार्ध में रात और दि‍न बराबर होते हैं।

 इसलि‍ए दुनि‍याभर की सरकारों, स्‍वयं सेवी संगठनों, नि‍जी क्षेत्र और सार्वजनि‍क क्षेत्र को संयुक्‍त राष्‍ट्र के साथ मि‍लकर काम करने को कहा गया है। कुल मि‍लाकर अंतर्राष्‍ट्रीय वि‍श्‍व वन वर्ष का उद्देश्‍य वन संरक्षण के प्रति‍ जागरूकता बढ़ाना तथा वर्तमान और भावी पीढ़ि‍यों के लाभ के लि‍ए सभी तरह के वनों के टि‍काऊ प्रबंध, संरक्षण और टि‍काऊ वि‍कास को सुदृढ़ बनाना है। वर्ष के दौरान जल ग्रहण क्षेत्र संरक्षण, पौधों को पर्यावास उपलब्‍ध कराने, पुनर्सृजन के लि‍ए क्षेत्रों, शि‍क्षा और वैज्ञानि‍क अध्‍ययन तथा लकड़ी एवं शहद सहि‍त अनेक उत्‍पादों के स्रोत जैसे समुदाय को होने वाले लाभ पर बल दि‍या जाएगा। वि‍श्‍व वानि‍की दि‍वस का लक्ष्‍य लोगों को यह अवसर उपलब्‍ध कराना भी है कि‍ वनों का प्रबंध कैसे कि‍या जाए तथा अनेक उद्देश्‍यों के लि‍ए टि‍काऊ रूप से उनका कैसे सदुपयोग कि‍या जाए।

 भारतीय प्रयास-

  जलवायु परि‍वर्तन पर प्रधानमंत्री की परि‍षद ने हरि‍त भारत के लि‍ए भारत के राष्‍ट्रीय मि‍शन को फरवरी 2011 में स्‍वीकृति‍ दे दी । यह मि‍शन जलवायु परि‍वर्तन पर भारत की राष्‍ट्रीय कार्य योजना के तहत आठ मि‍शनों में से एक है। इस मि‍शन का उद्देश्‍य वन क्षेत्र की गुणवत्‍ता तथा मात्रा को बढ़ाकर 10 मि‍लि‍यन हेक्‍टेयर करना तथा कार्बन डाई ऑक्‍साइड के वार्षि‍क उत्‍सर्जन को 2020 तक 50 से 60 मि‍लि‍यन टन तक लाना है।
     इसके तहत अपने वन क्षेत्र की गुणवत्‍ता को बढ़ाने के लि‍ए वन क्षेत्र की मात्रा बढ़ाने  पर ध्‍यान देने के पारंपरि‍क नजरि‍ए में बुनि‍यादी बदलाव लाने का प्रस्‍ताव है। वन क्षेत्र या वनों का दायरा बढ़ाने एवं अपने मध्‍यम दर्जे का वन घनत्‍व बढ़ाने तथा वि‍कृत वन क्षेत्र को दुरूस्‍त करने पर मुख्‍य रूप से ध्‍यान दि‍या जा रहा है।
     इस मि‍शन के तहत यह प्रस्‍ताव है कि‍ कार्बन उत्‍सर्जन को कम करने के लक्ष्‍य हासि‍ल करने के लि‍ए केवल वृक्षारोपण के बजाय वानि‍की को समग्र दृष्‍टि‍कोण के रूप में लि‍या जाए। जैव वि‍वि‍धता को संरक्षि‍त रखने और बढ़ाने तथा चारागाह/झाड़ि‍यों, मैनग्रोव वनों तथा दलदली भूमि‍ सहि‍त अन्‍य पारि‍स्‍थि‍ति‍की एवं पर्यावासों को पहले जैसी स्‍थि‍ति‍ में लाने पर भी स्‍पष्‍ट रूप से ध्‍यान देने का प्रस्‍ताव है।

      मि‍शन के कार्यान्‍वयन में स्‍थानीय प्रशासन संस्‍थाओं को शामि‍ल करने के लि‍ए वि‍केंद्रीकृत एवं सूझ-बूझ भरा प्रयास करने पर मुख्‍य रूप से ध्‍यान दि‍या जाएगा। हम यह नहीं भूल सकते कि‍ वन हमारे देश में 20 करोड़ से भी अधि‍क लोगों की आजीवि‍का का मुख्‍य स्रोत हैं। इसलि‍ए हमारे वनों के संरक्षण तथा उनकी गुणवत्‍ता में सुधार का कोई भी प्रयास स्‍थानीय समुदायों की सक्रि‍य भागीदारी के बि‍ना कामयाब नहीं हो सकता।

इस मि‍शन के डि‍ज़ाइन में आम नागरि‍कों एवं नागरि‍क संस्‍थाओं को भी जोड़ने की योजना है। इस मि‍शन के  प्रमुख उद्देश्‍य हैं:-

1 )भारत में वनरोपण/पर्यावरण अनुकूल ढंग से वनों को पहले की स्‍थि‍ति‍ में लाने के लि‍ए क्षेत्र को बढ़ाकर अगले दस वर्षों में दुगुना करना और कुल वनरोपण/ पर्यावरण अनुकूल ढंग से वनों को पहले की स्‍थि‍ति‍ में लाने के लि‍ए क्षेत्र को 2 करोड़ हेक्‍टेयर करना (अर्थात एक करोड़ हेक्‍टेयर वन/ गैर-वन क्षेत्र को अति‍रि‍क्‍त माना जाएगा, जबकि‍ एक करोड़ हेक्‍टेयर क्षेत्र को वि‍भि‍न्‍न कार्यक्रमों के तहत वन वि‍भाग और अन्‍य एजेंसि‍यों का कार्य होगा)।

2)भारत के वार्षि‍क कुल ग्रीन हाउस गैस (जीएचजी) उत्‍सर्जन को वर्ष 2020 तक 6.35 प्रति‍शत करने के लि‍ए भारत के वनों द्वारा ग्रीन हाउस गैस को दूर करने की प्रक्रि‍या में वृद्धि‍ करना। इसके लि‍ए एक करोड़ हेक्‍टेयर वनों/पारि‍स्‍थि‍ति‍की के भूमि‍ के ऊपर और नीचे जैव ईंधन को बढ़ाने की ज़रूरत होगी, जि‍सके फलस्‍वरूप हर साल एफ 43 मि‍लि‍यन टन कार्बन डाई ऑक्‍साइड उत्‍सर्जन के कार्बन पर रोक लगाने की प्रक्रि‍या में वृद्धि‍ होगी।

प्रसिद्ध भारतीय पर्यावरणविद्


इंदिरा गांधी,गाडगिल,मेधा पाटकर, पायेंगजादव (फॉरेस्ट मैन ऑफ इंडिया),सरला बेहन (चिपको आंदोलन एवं एक गांधीवादी पर्यावरण कार्यकर्ता),वसुंधरा दास(गायिका, अभिनेत्री और पर्यावरणविद् के  रूप में बेंगलुरू में पानी के नीचे जीवन पर आधारित शानदार प्रदर्शन )सुंदरलाल बहुगुणा(चिपको आंदोलन के प्रचारक)अमला रुइया,अगाथा संगमा एवंवंदना शिव जैसे नाम, संगठन, सहकारी समितियों एवं समूहों द्वारा वन संरक्षण एवं संवर्धन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया जा रहा है।आपसे भी निवेदन है कि अपने  लिए या अपने प्रिय के लिए शुभ अवसर पर  न्यूनतम एक वृक्ष या सौंदर्यीकरण पौधा आस पास के संस्थानों को समर्पित करें अथवा लगाकर पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाएं।सधन्यवाद 🙏


आपके समय,प्रतिक्रिया  देने एवं शेयर करने के लिए आभार एवं अग्रिम धन्यवाद 🙏

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